➡️ भारत का सर्व प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है जिस के संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है। वेद चार (four) हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्ववेद।
➡️ ऋग्वेद (सबसे प्राचीन वेद)
ऋचाएं के क्रमबद्ध (व्यवस्थित) ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है। इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त एवं अनेकों ऋचाएं है। इस वेद में ऋचाओं के वाचन (पढ़ने) वाले को होतृ कहा जाता है। इस वेद से आर्यों के राजनीतिक (poltical) प्रणाली एवं इतिहास (History) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे (three) मंडल में सूर्य (sun) देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है इस के नौवें मंडल में देवता (god som) सोम का उल्लेख मिलता है। इसके आठवें (eight) मंडल की हस्तलिखित रचनाओं को खिल कहा जाता है। चातुष्वणर्य समाज की कल्पना का आदि स्त्रोत ऋग्वेद के दसवें मंडल में वर्णित पुरुष सूक्त है जिसके अनुसार चार वर्ण ब्राह्मण (मुख) क्षत्रिय (भुजा) वैश्य (जंघा) व शूद्र (पैर) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमश: मुख, भुजा, जंघा व चरणों से उत्पन्न हुए। वामन अवतार के 3 पगों के बारे में जानने का स्रोत ऋग्वेद ही है।
➡️ ऋग्वेद (सबसे प्राचीन वेद)
ऋचाएं के क्रमबद्ध (व्यवस्थित) ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है। इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त एवं अनेकों ऋचाएं है। इस वेद में ऋचाओं के वाचन (पढ़ने) वाले को होतृ कहा जाता है। इस वेद से आर्यों के राजनीतिक (poltical) प्रणाली एवं इतिहास (History) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे (three) मंडल में सूर्य (sun) देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है इस के नौवें मंडल में देवता (god som) सोम का उल्लेख मिलता है। इसके आठवें (eight) मंडल की हस्तलिखित रचनाओं को खिल कहा जाता है। चातुष्वणर्य समाज की कल्पना का आदि स्त्रोत ऋग्वेद के दसवें मंडल में वर्णित पुरुष सूक्त है जिसके अनुसार चार वर्ण ब्राह्मण (मुख) क्षत्रिय (भुजा) वैश्य (जंघा) व शूद्र (पैर) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमश: मुख, भुजा, जंघा व चरणों से उत्पन्न हुए। वामन अवतार के 3 पगों के बारे में जानने का स्रोत ऋग्वेद ही है।